यार तुम बहुत ख़राब हो

आप पत्रकार हैं । आप तो सब जानते होंगे । रेलगाड़ी में सामने की सीट पर बैठे एक सज्जन ने कहा । तभी बॉस की बात कानों से गुज़र गई । पत्रकार हो और कुछ नहीं जानते हो । अक्सर होता है । जो बातें हम बॉस की मुंह से सुनते हैं ठीक उसके विपरीत बातें किसी और से सुनते हैं । उस वक्त कितना अच्छा लगता है । तुम खराब हो । तुम अच्छे हो । आपके साथ भी ऐसा होता है । क्या होगा जब घर में पत्नी भी यही बात कह दें कि तुम्हारा काम अच्छा नहीं । बाबूजी के मुंह से निकल जाए कि क्या रिपोर्ट लिखते हो । बॉस की बातों को तो आप दफ्तर के बाहर उड़ा देते हैं । घरवाले भी कुछ सच बोलने लगें तो क्या करेगे ? पर ऐसा क्यों हैं कि हम इन सब बातों के प्रति पेशेवर नहीं हैं । क्यों ख़राब लगता है ? क्यों ऐसा होता है कि एक ख़राब बोलता है तो हम किसी दूसरे के पास चले जाते हैं कि बोलो खुद तो देखता नहीं मुझे खराब बोलता है । इस चक्कर में आप दो चार लोगों को फोन कर व्यथा सुनाने लगते हैं । बताओ उन्हें ऐसा बोलना चाहिए था । हम क्यों करते हैं ऐसा । इन्हीं चार में से कोई बॉस के पास वापस आपकी बात पहुंचा देता है । मामला और उलझ जाता है । इसलिए कही गई बातों पर विचार कीजिए । इग्नोर कीजिए । और सामने बहस कीजिए । बाद में फोन मत कीजिए । अपनी राय भेजिएगा ।

उत्तर प्रदेश के चुनावों में जा रहा हूं । चुनाव लड़ने नहीं । कवर करने । झांसी, जालौन, ललितपुर और महोबा । मेरा नंबर ९८११५१८२५५ । अगर कोई ब्लागर पाठक वहां का है तो संपर्क कर सकता है । मेरी रिपोर्ट को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है । मैं सबसे जुड़ते हुए रिपोर्टर बनना चाहता हूं । सबसे दूर जाकर नहीं । वह शायद एडिटर होता होगा । दूर रहना उसकी नियति है । बहरहाल चुनावों में व्यस्त रहने के कारण ब्लाग कुछ दिनों के लिए स्थगित रहेगा । कोशिश करूंगा कि वहां के साइबर कैफे से दो चार लिख मारें पर देखा जाएगा ।

6 comments:

SHASHI SINGH said...

आपकी ईमानदार कोशिश के लिए हार्दिक शुभकामना! -शशि सिंह

अनूप शुक्ल said...

यात्रा और बेहतरीन कवरेज के लिये मंगलकामनायें!

अभय तिवारी said...

कम ही लोग कर सकते हैं इस तरह से बात को.. मैं सबको साथ लेते हुये रिपोर्टर बनना चाहता हूँ.. बहुत छोटी सी लाइन है.. पर बहुत बड़ी बात है.. कि आप इस मकाम पर आके भी कहें कि मैं बनना चाह्ता हूँ..

aziz said...

aap jaise 'janaakaankshi' patrakaar kum hi hote hain....is desh ko bahut jarurat hai aap jaise aam logon ki jinki niyati me sirf a.c. kamre nahi chilchilaaati dhup ho aur kisi basti ke chaapakal ka ek glass thanda paani...chunaav-yatraa ki shubhkaamnaayein....

Anil Dubey said...

आपने ठीक कहा...बौस की बात को तो इग्नोर कर दे लेकिन घर के लोग बोले तो लगता है ...दुनिया में सबसे निक्कमा हम ही हैं...सलाह अच्छी है...आजमाया जा सकता है...
वैसे आप एकदम सही जगह जा रहे हैं.आपकी रिपोर्ट का इंतज़ार रहेगा.आल्हा उदल के लल्कारते गीतों की धुन तो मधिम हो रही है.लेकिन बन्दुकों की फ़सल खुब लहलहा रही है.साथ में ज़ारी है किसानों की आत्महत्याएं...तालाब भी सुख ही चुके हैं...यात्रा मंगल मय हो.

Unknown said...

ज़रूरी नहीं है कि मेरे सुझाव या मेरी समझ अच्छी होती हों। लेकिन आपको याद हो मेरे नाम से आपके छह दोस्त होने के कन्फ्यूज़न के बीच (हालांकि बाद में छह दोस्तों में एक शागिर्द कहीं गुम न हो जाए, इसलिए नाम के साथ पता भी भेजने लगा था) आपकी स्पेशल रिपोर्ट पर अपने कमेंट्स भेज दिया करता था। हालांकि डरता भी था कि कहीं बुरा मान गए तो मुझे रोज़ी रोटी के लाले पड़ जाएंगे। अब आपने हौसला बढ़ाया है तो आगे नियमपूर्वक अपने कमेंट्स भेजूंगा।